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रोज़गार कैसे मिलता है? भारत में लड़के कई साल बेरोज़गार रहते हैं. अगर 6 महीने से ज़्यादा कोई बेरोज़गार रहता है तो उसे मुफ्त में काम करना चाहिए. यह काम उसे पूरी लगन और मेहनत से करना चाहिए. इससे उसे कमाई वाली नौकरी बहुत जल्दी मिल सकती है.

अंग्रेजी शिक्षा छात्रों को आलसी और घमंडी बनाती है । नौकरी पाने के लिए इसके उलटे गुण चाहिए। युवक 2-4 साल बेरोज़गार रहते हैं । उसके बाद वे मेहनत करने को राज़ी हो जाते हैं। तब उनको नौकरियां मिलने लगती हैं।

मेरी एक छात्रा ने मेहनत से इंग्लिश सीखी. फिर एक कार्यालय में साधारण वेतन पर लगी. वहां बहुत मेहनत से काम किया. 10 घंटे या उससे अधिक. कई नए काम शुरू किये. अपने नियोक्ता को बहुत लाभ पहुँचाया. उसकी मैनेजर ने जलन में उसका काम छुपाने की कोशिश की पर सब को पता चल गया. कार्यालय में उसका बहुत सम्मान होता था. एक साल बाद नियोक्ता ने उसे मैनेजर बना दिया और वेतन पुराने मैनेजर से अधिक कर दिया. पुरानी मैनेजर को 9 साल का अनुभव था.

एक लड़के ने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. उसे अचानक बड़े शहर में आना पड़ा. बहुत कम वेतन पर सुपरवाइजर का काम मिला. 12 घंटे खड़ा रहना पड़ता था. दो साल तक कोई इंक्रीमेंट नही. एक दिन अस्पताल जाना पड़ा. फैक्ट्री से वेतन कटा कर छुट्टी ली. रास्ते में देखा एक विदेशी कंपनी का नया दफ्तर खुला है. उसने मिलने की कोशिश की. गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया उसने गार्ड से निवेदन किया मेरा आवेदन अंदर दे देना. गार्ड मान गया. उसने गार्ड से कंपनी की थोड़ी जानकारी ली. 15 दिन बाद उसी कंपनी से इंटरव्यू की चिट्ठी आ गयी. उसने रातों में इंटरव्यू की तैयारी की. दिन में तो 12 घंटे की ड्यूटी करता था. इंटरव्यू बढ़िया गया. विदेशी कंपनी को वह पसंद आया. उसे नौकरी मिल गयी. वेतन 3 गुना हो गया और काम आधा.

मेरे एक पडोसी को गरीबी के कारण 12वीं के बाद नौकरी करनी पड़ी. साथ प्राइवेट B.Com मेहनत से किया. B.Com में प्रथम श्रेणी आई. बैंकों के कम्पटीशन दिए. दो सरकारी बैंकों में क्लर्क सेलेक्ट हो गया. बैंक में बहुत जल्दी CAIIB परीक्षा के दोनों भाग उत्तीर्ण कर लिए.

भारत में क़ानून रोज़गार देने के खिलाफ हैं. अगर कोई नियोक्ता अधिक आदमियों को रोज़गार देता है तो उसे खतरा है की बिना कसूर के उसे बहुत नुक्सान हो सकता है. अगर आपको ज़्यादा जानकारी चाहिए तो नज़दीक के लेबर कोर्ट में जाएं या लेबर के वकील से सलाह लें.

धन कैसे आता है इसके लिए अर्थशास्त्र में एक शिक्षाप्रद कहानी है. एक कुशल आदमी समुद्र में एक टापू में फंस गया. उसके पास पर्याप्त ज्ञान था पर कुछ सामान या औज़ार नहीं थे. वह अपने हाथों से रोज़ दो मछलियां पकड़ सकता था. उनसे वह अपना पेट भरता था. तरक्की करने के लिए उसने एक जाल बनाया. जाल बनाने में उसे दो दिन लगे. इन दिनों उसने रोज़ एक ही मछली पर गुज़ारा किया. जाल बनाने के बाद वह एक ही घंटे में दो मछलियां पकड़ने लगा. खाली समय में उसने खेती का प्रबंध किया और कई काम किये और उस की संपत्ति बढ़ने लगी.

दुनिया में जो भी देश धनी हैं मेहनत कर के धनी हुए हैं. विश्व युद्ध में जापान और जर्मनी खँडहर हो गए थे. पेट भरना मुश्किल था. लोगों ने बहुत मेहनत की और फिर संपन्न हो गए. चीन ने भी 20-30 साल मेहनत की. अब उसके पास धन अधिक है. आज वहां मज़दूर का वेतन भारत से पांच गुना है. चीन भारत के पडोसी देशों को धन देकर भारत के खिलाफ भड़काता है. जापान का जनसंख्या घनत्व भारत से बहुत अधिक है. वह कच्छा माल आयात करता है और बढ़िआ सामान तैयार करके ऊंचे दामों पर बेचता है. यूरोप के जनसंख्या और क्षेत्रफल भारत जैसे हैं. वहां सम्पन्नता भारत से बहुत अधिक है. भारत में मज़दूर साल में ६ महीने खाली रहते हैं अगर सरकार उन्हें इस समय थोड़ी तनख्वाह पर काम दे और अच्छी ट्रेनिंग दे तो उनका जीवन बहुत जल्दी सुधर जाएगा. भारत भी बहुत तरक्की कर लेगा. पड़े लिखे बेरोज़गार भी अनपढ़ मज़दूरों को पढ़ा सकते हैं. पढ़े लिखों को कुछ कमाई होगी और मज़दूरों की कमाई तेज़ी से बढ़ेगी.

जिस जगह लोग पढ़े लिखे हैं बच्चे कम पैदा करते हैं. लोग अमीर हैं. अनपढ़ बच्चे अधिक पैदा करते हैं और गरीब हैं. यह बात दुनिआ के हर देश पर और भारत के हर प्रान्त पर लागू होती है. जापान में किसान बहुत पढ़े होते हैं. वहां गाँवों में प्रति व्यक्ति कारें, रेफ्रिजरेटर आदि शहरों से अधिक हैं. वहां शहर वाले गाँवों की तुलना में गरीब हैं. गाँव वाले ज्यादा अमीर हैं। अधिकतर उन्नत देशों में यही हाल है.